बगलामुखी तांत्रिक साधना अत्यधिक गूढ़ और शक्तिशाली होती है। यह शत्रु नाश, स्तंभन, और उच्चाटन जैसे कार्यों के लिए की जाती है। यह साधना करने से पहले यह जानना आवश्यक है कि यह अत्यधिक तामसिक साधना है, और इसे केवल गुरु की दीक्षा और मार्गदर्शन के साथ ही करना चाहिए। बिना उचित मार्गदर्शन और सुरक्षा के इसे करना साधक के लिए हानिकारक हो सकता है। यहाँ इस साधना की सम्पूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से समझाया जा रहा है।
बगलामुखी तांत्रिक साधना की Step-by-Step विधि
साधना की तैयारी
1. समय और दिन का चयन:
इस साधना को अष्टमी तिथि को करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है। यदि यह शनिवार के दिन मूल, आद्र्रा, या भरणी नक्षत्र में की जाए तो इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है।
साधना का समय मध्यरात्रि (12 बजे के बाद) को सबसे उपयुक्त होता है। यह समय तामसिक साधनाओं के लिए अधिक प्रभावी माना गया है।
2. स्थान का चयन:
यह साधना श्मशान भूमि, पीपल के वृक्ष के नीचे, या किसी निर्जन स्थान पर करनी चाहिए। श्मशान भूमि का वातावरण साधना की तामसिक ऊर्जा को जाग्रत करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
ध्यान रखें कि साधना स्थल पर कोई भी बाधा उत्पन्न न हो। एकांत का चुनाव करें ताकि साधना में पूर्ण एकाग्रता प्राप्त हो सके।
3. वस्त्र और तिलक:
साधक को साधना के समय पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। बगलामुखी देवी की साधना में पीला रंग अत्यधिक शुभ माना जाता है।
माथे पर हल्दी का तिलक लगाएं। हल्दी बगलामुखी की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक है, और साधक को मंत्र जप में एकाग्रता प्राप्त करने में सहायक होती है।
4. दीपक का निर्माण:
एक दीपक लें और उसमें सरसों या मीठे तेल का उपयोग करें। दीपक की बत्ती श्मशान में छोड़े गए वस्त्र से बनाई जानी चाहिए।
दीपक को उड़द की दाल के ऊपर रखें। दीपक का निर्माण श्मशान से लाई गई मिट्टी से करना सबसे अधिक प्रभावी होता है।
यह ध्यान रखें कि दीपक और बत्ती का निर्माण पूर्ण श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए किया जाए।
साधना की विधि
1. पूजन:
साधना स्थल पर दीपक को स्थापित करें और उसकी हल्दी और पीले पुष्प से पूजा करें।
दीपक जलाएं और अपनी एकाग्रता दीपक की लौ में केंद्रित करें। इसके साथ ही देवी बगलामुखी का ध्यान करें और उनसे आपकी साधना स्वीकार करने की प्रार्थना करें।
2. मंत्र जप:
दिए गए बगलामुखी मंत्र का एक हजार बार जाप करें।
मंत्र:
ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।
मंत्र का जाप करते समय दीपक की लौ में भगवती बगलामुखी का ध्यान करें। आपकी पूरी एकाग्रता मंत्र जाप और देवी के ध्यान पर होनी चाहिए।
3. भोग:
मंत्र जाप के बाद, देवी बगलामुखी को मद्य (शराब) और मांस का भोग अर्पित करें। यह तामसिक साधनाओं का एक अनिवार्य भाग है और देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
4. लौ की दिशा से संकेत:
साधना करते समय दीपक की लौ पर ध्यान दें। लौ के संकेत से साधक को कार्य की सिद्धि के बारे में जानकारी मिलती है।
यदि लौ सीधी जल रही है, तो यह संकेत है कि कार्य शीघ्र सिद्ध होगा।
यदि लौ टेढ़ी हो रही है या बत्ती से तेल में बुलबुले उठ रहे हैं, तो कार्य की सिद्धि में कुछ विलंब हो सकता है।
5. विलोम मंत्र प्रयोग:
अगर शत्रु का समूल नाश करना हो, तो दीपक को 108 बार विलोम मंत्र का जाप करते हुए, बाएं हाथ से उलटा कर दें ताकि नीचे रखा हुआ ठीकरा टूट जाए। यह क्रिया शत्रु नाश के लिए अत्यधिक प्रभावशाली मानी जाती है।
6. त्रिकोण और कील प्रयोग:
शत्रु को कष्ट देने के लिए साधना स्थल पर दक्षिण दिशा की ओर एक त्रिकोण बनाएं।
त्रिकोण के मध्य में शत्रु का नाम उच्चारण करते हुए लोहे की कील को ठोकें। यह क्रिया शत्रु को अत्यधिक कष्ट देने के लिए की जाती है और साधना की तामसिक ऊर्जा को जाग्रत करती है।
साधना के नियम और सावधानियां
1. गुरु मार्गदर्शन:
यह साधना अत्यधिक तामसिक और शक्तिशाली होती है। इसे केवल गुरु की आज्ञा और दीक्षा के बाद ही करें। बिना गुरु की कृपा और मार्गदर्शन के साधना करने से दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
2. पूरी निष्ठा और नियम:
साधना करते समय पूर्ण निष्ठा और नियमों का पालन करें।
साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और तामसिक भोजन का सेवन करें। साधक का मन शांत और एकाग्र होना चाहिए।
3. गोपनीयता:
इस साधना को अत्यंत गोपनीय रखें। साधना स्थल पर किसी अन्य को न आने दें और इस साधना के बारे में किसी से चर्चा न करें।
4. प्रतिक्रिया:
इस साधना का दुरुपयोग साधक के लिए हानिकारक हो सकता है। यदि शत्रु प्रतिकार करता है तो साधक को भयंकर हानि हो सकती है। इसलिए, इस क्रिया को गुरु की कृपा और सुरक्षा कवच के बिना न करें।
5. मंत्र का सही उच्चारण:
विलोम मंत्र का उच्चारण बहुत ही सावधानी से करें। विलोम मंत्र का गलत उच्चारण साधक के लिए हानिकारक हो सकता है।
महत्वपूर्ण नोट:
यह साधना अत्यधिक शक्तिशाली है और इसे केवल न्याय, शत्रु नाश, और सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए। इसे किसी निर्दोष या स्वार्थ हेतु प्रयोग में न लाएं।
साधना का परिणाम सकारात्मक तभी होता है जब यह सत्य, न्याय और रक्षा के लिए की जाती है।
महाकाली तंत्र के संपर्क विवरण:
यदि आप इस साधना के बारे में अधिक जानना चाहते हैं या गुरु की दीक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप महाकाली तंत्र से संपर्क कर सकते हैं:
महाकाली तंत्र का फोन: +91-9569024784
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महाकाली तंत्र द्वारा यह साधना केवल उन लोगों के लिए है जो गुरु की आज्ञा और मार्गदर्शन में इसे करना चाहते हैं
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