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प्रेतनी: तंत्र जगत की रहस्यमयी और खतरनाक शक्ति

 


प्रेतनी: तंत्र जगत की रहस्यमयी और खतरनाक शक्ति


प्रेतनी तंत्र जगत में एक अत्यंत शक्तिशाली और खतरनाक आत्मिक शक्ति मानी जाती है, जिसे साधना के माध्यम से सिद्ध किया जाता है। प्रेतनी का उल्लेख प्राचीन तंत्र ग्रंथों में मिलता है, जहाँ इसका प्रयोग तंत्रिक क्रियाओं, शत्रु नाश, और अदृश्य शक्तियों की सिद्धि के लिए किया जाता है। यह शक्ति विशेष रूप से उन स्त्रियों की आत्माओं से संबंधित होती है, जिनकी मृत्यु असमय, हिंसा, या कष्टपूर्ण परिस्थितियों में होती है। प्रेतनी को वश में करना अत्यंत कठिन और जोखिम भरा होता है, लेकिन यदि साधक इसे सिद्ध कर लेता है, तो वह अनेक अलौकिक शक्तियों का अधिकारी बन जाता है।


1. प्रेतनी का परिचय और स्वभाव:


प्रेतनी, एक स्त्री आत्मा होती है, जो असमय या हिंसक मृत्यु के बाद संसार में भटकती रहती है। उसकी आत्मा को इस संसार से मुक्ति नहीं मिल पाती, और वह अपनी अधूरी इच्छाओं या अपूर्ण कर्मों के कारण धरती पर भटकती रहती है। प्रेतनी अत्यंत असंतुष्ट, क्रोधी और प्रतिशोधी स्वभाव की होती है। तंत्र साधक प्रेतनी का उपयोग विशेष उद्देश्यों के लिए करते हैं, जैसे शत्रु नाश, गुप्त ज्ञान की प्राप्ति, और धन-समृद्धि का अर्जन।


प्रेतनी का स्वभाव:


 • क्रोधी और प्रतिशोधी: प्रेतनी का स्वभाव अत्यंत क्रोधपूर्ण और प्रतिशोधी होता है। जिन स्त्रियों की मृत्यु अकारण या कष्टपूर्ण तरीके से होती है, वे प्रेतनी बन जाती हैं और धरती पर किसी के आदेश का पालन नहीं करतीं, सिवाय उन साधकों के जिन्होंने उन्हें सिद्ध किया हो।

 • अधूरी इच्छाओं से प्रेरित: यह आत्माएं अपनी अधूरी इच्छाओं और मोह के कारण बंधी रहती हैं, जो उन्हें इस लोक में भटकने के लिए मजबूर करती हैं।


2. प्रेतनी का रूप:


 • रूप: प्रेतनी का रूप अत्यंत डरावना और भयानक होता है। उसकी लंबी काया, लाल और विकराल आँखें, बिखरे हुए बाल, और विकृत चेहरा उसे एक भयावह रूप में प्रस्तुत करते हैं। साधक कहते हैं कि वह ज्यादातर रात के अंधेरे में या श्मशान जैसे स्थानों में दिखाई देती है। उसका शरीर असाधारण रूप से शक्तिशाली होता है।

 • वेशभूषा: प्रेतनी को अधिकतर पुराने, फटे-पुराने, या बिना कपड़ों में देखा जाता है। उसकी वेशभूषा उसकी मानसिक स्थिति और उसकी मृत्यु की परिस्थिति को दर्शाती है। साधक मानते हैं कि उसकी वेशभूषा का रूप उसकी दुखद परिस्थितियों को दर्शाता है।


3. प्रेतनी के प्रकार:


प्रेतनी को उनकी मृत्यु की परिस्थिति और उनके मानसिक भावों के आधार पर अलग-अलग प्रकारों में बांटा जाता है:


 1. दुखी प्रेतनी: ऐसी आत्माएं जो अत्यधिक दुख, मानसिक आघात, या पीड़ा के कारण प्रेतनी बनती हैं। उनका स्वभाव करुणा और दुःख से भरा होता है।

 2. प्रतिशोधी प्रेतनी: ये आत्माएं प्रतिशोध की भावना से बंधी रहती हैं, जिनका उद्देश्य अपनी मृत्यु का बदला लेना होता है। इन्हें तांत्रिक साधकों द्वारा अपने शत्रुओं को नष्ट करने के लिए सिद्ध किया जाता है।

 3. भटकती प्रेतनी: ऐसी आत्माएं जो किसी विशेष इच्छा या मोह के कारण इस संसार में भटकती रहती हैं। वे शांति की खोज में भटकती हैं और अक्सर किसी विशेष स्थान पर अटकी रहती हैं।

 4. श्रापित प्रेतनी: ये आत्माएं श्राप के कारण इस संसार में रहने के लिए विवश होती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य श्राप से मुक्ति पाना होता है, और वे साधक के आदेश पर कार्य करती हैं।


4. प्रेतनी के स्थान:


 • श्मशान: श्मशान घाट को प्रेतनी का प्रमुख निवास स्थान माना जाता है। यहाँ पर आत्माएं विशेष रूप से सक्रिय होती हैं और साधक यहाँ इनकी साधना करते हैं।

 • पुराने और वीरान स्थान: प्रेतनी अक्सर पुराने, वीरान, और सुनसान स्थानों पर दिखाई देती हैं। ऐसे स्थान जहाँ लोगों का आवागमन कम हो, वहाँ उनकी उपस्थिति महसूस की जा सकती है।

 • जलाशय और कुएं: जिन आत्माओं की मृत्यु जल में होती है, वे प्रायः कुएं, तालाब, या नदियों के पास निवास करती हैं। इन स्थानों पर उनकी गतिविधियाँ अधिक होती हैं।


5. प्रेतनी सिद्धि के लाभ:

प्रेतनी की सिद्धि तंत्र साधकों के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। निम्नलिखित लाभ प्रेतनी सिद्धि से प्राप्त होते हैं:


 • अलौकिक शक्तियाँ: साधक को अदृश्य और अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति होती है। वह अदृश्य आत्माओं को नियंत्रित कर सकता है।

 • भविष्य दर्शन: प्रेतनी के माध्यम से साधक भविष्य की घटनाओं को देख सकता है और उन पर नियंत्रण पा सकता है।

 • शत्रु पर विजय: साधक प्रेतनी के माध्यम से अपने शत्रुओं को नियंत्रित या नष्ट कर सकता है।

 • धन और समृद्धि: प्रेतनी की कृपा से साधक को धन-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।

 • गुप्त ज्ञान: प्रेतनी सिद्धि के माध्यम से साधक को गुप्त तांत्रिक ज्ञान की प्राप्ति होती है, जो साधारणतया किसी को नहीं मिलती।


6. प्रेतनी सिद्धि के जोखिम और हानियाँ:


प्रेतनी सिद्धि अत्यंत खतरनाक मानी जाती है। यदि साधक का मानसिक संतुलन कमजोर हो, तो वह प्रेतनी के प्रभाव में आकर अपनी शक्ति खो सकता है। प्रेतनी सिद्धि के कुछ प्रमुख जोखिम और हानियाँ निम्नलिखित हैं:


 • मानसिक संतुलन का नष्ट होना: प्रेतनी की शक्ति को नियंत्रित करना अत्यंत कठिन होता है। यदि साधक इसे सही तरह से नियंत्रित नहीं कर पाता, तो वह मानसिक रूप से अस्थिर हो सकता है।

 • जीवन पर खतरा: अगर साधना गलत विधि से की जाती है, तो प्रेतनी साधक के जीवन के लिए खतरा बन सकती है।

 • भय और आतंक: प्रेतनी साधना के खतरों के कारण साधक को जीवन भर डर और आतंक का सामना करना पड़ सकता है।

 • समाज से बहिष्कार: प्रेतनी सिद्धि के बाद साधक का जीवन श्रापित हो सकता है, जिससे वह समाज और परिवार से अलग-थलग हो सकता है।


7. प्रेतनी का इतिहास:


प्राचीन तंत्रिक ग्रंथों में प्रेतनी का उल्लेख मिलता है। भारतीय तंत्र साहित्य में प्रेतनी साधना का वर्णन विस्तार से किया गया है। कई तांत्रिक साधक इस साधना को शत्रु नाश, गुप्त ज्ञान की प्राप्ति और धन लाभ के लिए करते थे। मध्यकालीन भारत में प्रेतनी सिद्धि को अत्यधिक महत्व दिया गया, और इसे सिद्ध करने वाले साधक विशेष तांत्रिक शक्तियों के लिए प्रसिद्ध हुए। कई तांत्रिक ग्रंथों में प्रेतनी साधना को अत्यंत खतरनाक, लेकिन शक्तिशाली तंत्रिक प्रक्रिया के रूप में वर्णित किया गया है।


निष्कर्ष:


प्रेतनी साधना अत्यधिक जोखिमपूर्ण और खतरनाक साधना मानी जाती है, जिसे केवल उच्च तांत्रिक ज्ञान और साधना की निपुणता रखने वाले साधक ही कर सकते हैं। महाकाली तंत्र के अंतर्गत, यह साधना केवल गुरु की विशेष कृपा और दिशा-निर्देशों के साथ की जानी चाहिए, अन्यथा यह साधक के जीवन में असंख्य समस्याएं ला सकती है। प्रेतनी की सिद्धि करने वाले साधकों को अत्यधिक सावधान रहना चाहिए और इसके हर नियम और विधि का सही तरीके से पालन करना चाहिए, ताकि यह शक्ति उनके नियंत्रण में रहे और उन्हें लाभ प्राप्त हो सके।


महाकाली तंत्र के संपर्क जानकारी:


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