नवरात्रि पूजा और कलश स्थापना की विस्तारित विधि: स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया और आवश्यक मंत्रों का विस्तृत वर्णन
नवरात्रि पूजा और कलश स्थापना का सही विधि-विधान से पालन करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। यह प्रक्रिया पूजा स्थल की तैयारी से लेकर हर चरण में मंत्रोच्चारण और सामग्री के सही प्रयोग को विस्तृत रूप में समझाती है। आइए, जानते हैं इसे विस्तारित रूप से:
1. पूजा स्थल की तैयारी:
स्थान का चयन: पूजा स्थल के रूप में घर का एक स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें। यह स्थान पूर्व दिशा में होना उत्तम माना जाता है।
सफाई: उस स्थान को पूरी तरह से साफ करें। गंगाजल या शुद्ध जल से छिड़काव कर इसे पवित्र करें।
रंगोली: पूजा स्थल पर शुभता और पवित्रता के लिए चावल के आटे या रंगीन पाउडर से स्वास्तिक या अन्य शुभ चिह्न बनाएं।
कपड़ा बिछाएं: पूजा स्थल पर एक स्वच्छ लाल या सफेद कपड़ा बिछाएं। यह कपड़ा माँ दुर्गा के लिए आसन का प्रतीक है।
2. माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापना:
प्रतिमा का चयन: माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को लाल कपड़े पर रखें। उन्हें फूलों की माला पहनाएं और सिंदूर, हल्दी, कुमकुम और चंदन से सजाएं।
आवश्यक मंत्र: माँ का आह्वान करने के लिए निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
इस मंत्र का उच्चारण करते समय माँ दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें फूल अर्पित करें।
3. कलश स्थापना की विस्तृत विधि:
1. कलश की सफाई और शुद्धिकरण:
तांबे या मिट्टी के कलश का चयन करें। कलश को शुद्ध जल और गंगाजल से धोकर साफ करें।
मंत्र: कलश को पवित्र करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
2. कलश में जल भरना:
कलश में स्वच्छ जल भरें और उसमें थोड़ा गंगाजल भी मिलाएं।
जल में कुछ सिक्के, हल्दी की गाँठ, सुपारी, दूर्वा घास और पान के पत्ते डालें।
मंत्र: जल भरते समय इस मंत्र का उच्चारण करें:
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन सन्निधिं कुरु॥
यह मंत्र नदियों की शक्ति का आह्वान करता है और जल को पवित्र बनाता है।
3. आम के पत्ते और नारियल का उपयोग:
अब कलश के मुख पर आम के पत्तों को इस प्रकार रखें कि उनका ऊपरी भाग बाहर निकला हुआ हो।
एक साबुत नारियल लें और उसे लाल कपड़े में लपेटें। नारियल के चारों ओर मौली (कलावा) बाँधें और इसे कलश के ऊपर रखें।
मंत्र: नारियल रखते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ श्री गणेशाय नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ रुद्राय नमः, ॐ इन्द्राय नमः।
4. कलश पर स्वस्तिक बनाएं:
कलश पर रोली और कुमकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। स्वस्तिक शुभता का प्रतीक है और इसे बनाते समय श्रद्धा रखें।
5. कलश के चारों ओर मौली बांधें:
कलश के चारों ओर कलावा (मौली) बाँधें। यह सुरक्षा का प्रतीक होता है और यह माँ दुर्गा की कृपा का संकेत है।
4. माँ दुर्गा का आह्वान और पूजन:
दीपक जलाना: माँ दुर्गा के समक्ष एक दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' का जाप करें। इस मंत्र से वातावरण शुद्ध होता है।
अगरबत्ती और धूप: अगरबत्ती और धूप जलाएं और माँ की प्रतिमा के चारों ओर घुमाकर अर्पित करें।
फूल अर्पण: माँ को फूल अर्पित करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ देवी दुर्गायै नमः पुष्पाणि समर्पयामि।
5. पूजा सामग्री अर्पित करना:
सिंदूर: माँ को सिंदूर चढ़ाते समय इस मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ देवी दुर्गायै नमः सिंदूरं समर्पयामि।
चंदन: चंदन अर्पित करते समय:
ॐ देवी दुर्गायै नमः चन्दनं समर्पयामि।
अक्षत (चावल): चावल अर्पित करते समय:
ॐ देवी दुर्गायै नमः अक्षतान् समर्पयामि।
मिठाई और फल: माँ को मिठाई और फल अर्पित करते समय:
ॐ देवी दुर्गायै नमः नैवेद्यं निवेदयामि।
6. आरती और मंत्रोच्चार:
माँ की आरती करने से पहले निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥
घी का दीपक जलाएं और उसे माँ की प्रतिमा के चारों ओर घुमाते हुए आरती करें।
7. दुर्गा सप्तशती का पाठ:
नवरात्रि के नौ दिनों में 'दुर्गा सप्तशती' का पाठ करने का विशेष महत्व है। इसे हर दिन एक अध्याय पढ़ सकते हैं।
संक्षिप्त मंत्र: यदि पूरा पाठ संभव न हो, तो इस मंत्र का जप करें:
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते॥
8. भोग अर्पण और प्रसाद वितरण:
पूजा के बाद माँ को फल, मिठाई, पंचमेवा (काजू, बादाम, किशमिश, मखाने, अखरोट) का भोग अर्पित करें।
प्रसाद अर्पित करने के बाद इसे परिवार और अन्य भक्तों में बांटें।
9. नौ दिनों का पूजन क्रम:
प्रत्येक दिन पूजा के दौरान दीपक जलाएं, अगरबत्ती जलाएं और माँ को फूल, भोग अर्पित करें।
प्रतिदिन माँ की आरती करें और 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करें।
नौवें दिन 'कन्या पूजन' करें, जिसमें नौ कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें उपहार दें।
10. कलश विसर्जन (समापन के बाद):
नवरात्रि के समापन पर कलश को विसर्जित करने का समय होता है। पूजा के बाद कलश से जल लेकर अपने घर में छिड़कें।
नारियल को प्रसाद के रूप में परिवार में बांटें। कलश में रखे सिक्कों और सुपारी को किसी पवित्र स्थान या जल में विसर्जित करें।
11. अतिरिक्त मंत्र:
माँ की कृपा के लिए विशेष मंत्र:
ॐ दुं दुर्गायै नमः।
रक्षा कवच मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
अंतिम बात:
पूरे नवरात्रि के दौरान माँ की पूजा करते समय मन में श्रद्धा और विश्वास बनाए रखें। अपने पूजा स्थल को प्रतिदिन साफ रखें और माँ दुर्गा की कृपा पाने के लिए ध्यान और जप करते रहें।
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