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यक्षिणी साधना – धन, व्यापार वृद्धि और कर्ज मुक्ति के लिए



यक्षिणी साधना धन, व्यापार वृद्धि और कर्ज मुक्ति के लिए दीपावली पर की जाने वाली विशेष साधना

यक्षिणी साधना तंत्र की एक अत्यंत शक्तिशाली और गूढ़ साधना मानी जाती है। विशेष रूप से दीपावली की रात को की गई यक्षिणी साधना साधक के जीवन में अपार धन-संपदा, व्यापार में उन्नति, और कर्ज से मुक्ति प्रदान करती है। यह साधना रहस्यमयी और दुर्लभ होने के कारण इसका प्रभाव अत्यधिक होता है। साधना को सफल बनाने के लिए विधि-विधान, मंत्र, और नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। यहां यक्षिणी साधना की पूरी विधि और उससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।


साधना की तैयारी:


1. साधना का स्थान चयन:


 • साधना के लिए एकांत और शुद्ध स्थान का चयन करें, जहाँ किसी प्रकार का व्यवधान न हो।

 • साधना स्थल को साफ करके वहाँ लाल रेशमी कपड़ा बिछाएं।


2. साधना सामग्री:


 • यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र: साधना स्थल पर स्थापित करें।

 • लाल कपड़ा: साधना स्थान को पवित्र करने के लिए।

 • धूप-दीप: पूजा के लिए आवश्यक।

 • लाल चंदन, कुमकुम और हल्दी: यक्षिणी की पूजा में प्रयोग करें।

 • गुलाब के फूल: लाल गुलाब का विशेष महत्व होता है।

 • नारियल और मिठाई: भोग के लिए।

 • रुद्राक्ष माला: मंत्र जाप के लिए उपयोग करें।

 • कपूर: आरती के लिए।


3. शारीरिक और मानसिक शुद्धता:


 • साधक को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। साधना के समय साधक का मन और शरीर दोनों पवित्र और शांत होना चाहिए।

 • साधना से एक दिन पूर्व से सात्विक आहार लें और संयमित रहें।


साधना की विधि:


1. साधना स्थल की स्थापना:


 • लाल रेशमी कपड़े पर यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।

 • धूप और घी का दीपक जलाएं।

 • यक्षिणी को चंदन, कुमकुम, हल्दी और लाल गुलाब के फूल अर्पित करें। यह प्रक्रिया यक्षिणी को प्रसन्न करने के लिए होती है।


2. आसन और मुद्रा:


 • पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर साधना करें। साधक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

 • ध्यान मुद्रा में हाथ घुटनों पर रखें और यक्षिणी की कृपा का ध्यान करते हुए मंत्र जाप करें।


3. मंत्र जाप:


यक्षिणी साधना का विशेष मंत्र नीचे दिया गया है। दीपावली की रात को इस मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यधिक फलदायी होता है:


यक्षिणी मंत्र:


ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं यक्षिण्यै धनं देहि देहि स्वाहा॥


 • मंत्र जाप के दौरान यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र पर ध्यान केंद्रित करें।

 • मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष माला का प्रयोग करें और मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धा से करें।


4. भोग अर्पण:


 • मंत्र जाप समाप्त होने के बाद यक्षिणी को नारियल और मिठाई का भोग अर्पित करें।

 • लाल गुलाब के फूल अर्पित करें और कपूर से यक्षिणी की आरती करें। साधना के अंत में प्रार्थना करें कि यक्षिणी आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करें।


5. विशेष नियम:


 • साधना के दौरान पूर्ण एकाग्रता और संयम का पालन करें।

 • साधना के समय किसी प्रकार की अशुद्धता न हो और साधक का ध्यान केवल यक्षिणी की उपासना पर होना चाहिए।

 • साधना के दौरान किसी से बात न करें और नकारात्मक विचारों से बचें।


साधना का प्रभाव:


1. धन वृद्धि:


यह साधना साधक के जीवन में अपार धन-संपदा का प्रवाह करती है। धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और समृद्धि का मार्ग खुलता है।


2. व्यापार उन्नति:


साधना से व्यापार में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और व्यवसाय में तेजी से उन्नति होती है।


3. कर्ज मुक्ति:


यह साधना कर्ज से मुक्ति दिलाने में अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है। जो साधक कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं, उनके लिए यह साधना कर्ज से छुटकारा दिलाने में सहायक होती है।


4. आध्यात्मिक उन्नति:


यक्षिणी साधना साधक के जीवन में अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करती है। साधक को मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है।


साधना के बाद:


 • साधना के बाद भोग को किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान दें।

 • साधक को साधना के बाद विश्राम करना चाहिए और अगले दिन भी साधना का प्रभाव महसूस किया जा सकता है।


महत्वपूर्ण सुझाव:


 • यह साधना अत्यंत प्रभावशाली है, इसलिए इसे पूर्ण निष्ठा और विश्वास के साथ करें।

 • साधना के दौरान यदि कोई कठिनाई आती है, तो योग्य गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करें।

 • साधना के सभी नियमों का पालन करें, ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके।


निष्कर्ष:

दीपावली की रात की जाने वाली यक्षिणी साधना धन, व्यापार और कर्ज मुक्ति के लिए अत्यंत शक्तिशाली साधना है। इसे पूरी निष्ठा और विधि-विधान के साथ करने पर साधक को असाधारण लाभ प्राप्त होते हैं।


यह साधना आपको अपार धन-संपत्ति, व्यापारिक सफलता और कर्ज से मुक्ति दिला सकती है। इस साधना के साथ अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को आमंत्रित करें।


महाकाली तंत्र के मार्गदर्शन में यह साधना साधक को जीवन में स्थायी सुख, समृद्धि और सफलता की ओर ले जाती है।

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