नवरात्रि कलश स्थापना: सम्पूर्ण विधि, शुभ समय (महाकाली तंत्र द्वारा)
महत्वपूर्ण: नवरात्रि के नौ दिनों में कलश स्थापना (घट स्थापना) एक विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है। यह कार्य देवी माँ की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रतीक है। सही समय और विधि से की गई कलश स्थापना साधक को माँ दुर्गा का आशीर्वाद, सुख-समृद्धि, और जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति प्रदान करती है। यहाँ हम इस प्रक्रिया के हर पहलू को विस्तार से समझाएँगे ताकि आप इसे सहजता से कर सकें।
नवरात्रि 2024 का शुभ समय:
इस वर्ष नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 (गुरुवार) से प्रारम्भ हो रही है। प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल में होता है।
कलश स्थापना का सर्वोत्तम मुहूर्त: प्रातः 6:20 बजे से 7:50 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:45 बजे तक। (यह विकल्प तब उपयोग करें जब प्रातःकाल का मुहूर्त न मिल सके।)
कलश स्थापना की सम्पूर्ण सामग्री:
1. मिट्टी का पात्र: जिसमें जौ बोए जाते हैं।
2. शुद्ध मिट्टी: कलश स्थापना के लिए।
3. जौ के बीज: समृद्धि और कल्याण का प्रतीक।
4. जल: गंगाजल का उपयोग सर्वोत्तम होता है।
5. सुपारी, सिक्का, पान के पत्ते: कलश के अंदर डालने के लिए।
6. कुमकुम, हल्दी, चंदन: पूजा के लिए।
7. पुष्प, दूर्वा: माँ को अर्पण करने के लिए।
8. लाल कपड़ा: कलश के आस-पास बांधने के लिए।
9. मिट्टी या तांबे का कलश: जिसमें जल भरकर स्थापना की जाती है।
10. नारियल (पानी वाला): कलश के ऊपर रखने के लिए।
11. कलावा, आम के पत्ते: कलश को सजाने के लिए।
12. दीपक, मिठाई: पूजा के लिए।
कलश स्थापना की विस्तृत विधि:
1. पूजा स्थल की शुद्धि:
सबसे पहले, घर के पूजा स्थल की अच्छी तरह सफाई करें। यदि संभव हो तो गंगाजल से शुद्धि करें।
एक चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें।
2. मिट्टी और जौ का पात्र तैयार करें:
चौकी के मध्य में मिट्टी का पात्र रखें।
उसमें शुद्ध मिट्टी भरें और जौ के बीज बो दें। यह समृद्धि का प्रतीक है।
बीजों के ऊपर थोड़ा जल छिड़कें और इसे कलश के आस-पास रखें।
3. कलश की स्थापना:
कलश को शुद्ध जल से धोकर उसमें गंगाजल भरें।
इसके अंदर सुपारी, सिक्का, और पान के पत्ते डालें।
कलश के बाहरी हिस्से पर कुमकुम से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं।
इसके ऊपर आम के पत्ते रखें और कलश पर नारियल रखें। नारियल का मुंह बाहर की ओर हो और उसे लाल कपड़े से लपेटें।
नारियल पर मौली (कलावा) बांधें।
4. कलश की पूजा:
कलश के पास दीप जलाएं।
अब कलश की पूजा करें और कलश में उपस्थित जल को वरुण देव का रूप मानकर उन्हें प्रणाम करें।
निम्न मंत्र का जाप करें:
ॐ वरुणाय नमः।
ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः।
माँ दुर्गा का आह्वान करें और उन्हें पुष्प, अक्षत (चावल), दूर्वा, और लाल वस्त्र अर्पित करें।
5. जौ की देखभाल:
प्रतिदिन जौ के ऊपर थोड़ा-सा जल छिड़कें। जौ का अंकुरण समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
नवरात्रि के नौ दिनों तक कलश के पास दीप जलता रहे, इसका विशेष ध्यान रखें।
6. माँ दुर्गा की आराधना:
नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करें।
प्रतिदिन 'दुर्गा सप्तशती' या 'दुर्गा चालीसा' का पाठ करें।
विशेष सावधानियाँ:
कलश स्थापना के समय साधक शुद्धता और पवित्रता का पालन करें।
पूजा के समय पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें।
नवरात्रि के दौरान अखंड दीप जलता रहे।
कलश का जल हमेशा साफ रहे और रोज सुबह उसकी पूजा करें।
कलश विसर्जन:
दशमी तिथि (दशहरा) को कलश का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के समय कलश के जल और जौ को किसी पवित्र नदी या तुलसी के पौधे में चढ़ाएं।
महत्वपूर्ण संदेश:
माँ दुर्गा की आराधना से नवरात्रि के नौ दिनों में साधक को अद्भुत ऊर्जा, शांति और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस विधि का पालन करने से साधक माँ की कृपा से हर प्रकार के कष्टों से मुक्त हो सकते हैं।
जय माँ काली!
महाकाली तंत्र से संपर्क करें:
वेबसाइट: www.mahakalitantras.org
फोन: +919569024784
WhatsApp: +918062180987
Telegram: +919569024784
ईमेल: info@mahakalitantras.org
अधिक जानकारी, मार्गदर्शन, और व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान के लिए महाकाली तंत्र से संपर्क करें।
0 Comments