यक्षणी सिद्धि के लिए शक्तिशाली आदिवासी शाबर मंत्र और साधना का संपूर्ण विवरण (महाकाली तंत्र द्वारा)
यक्षणी साधना अत्यंत प्रभावशाली तांत्रिक साधना मानी जाती है, जो साधक को अपार सिद्धियां, आकर्षण, सुरक्षा, और शत्रु विजय प्रदान करती है। इस साधना को महाकाली तंत्र की विधि अनुसार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। नीचे यक्षणी सिद्धि की साधना का सम्पूर्ण विवरण दिया गया है, जिसमें मंत्र, विधि-विधान, आसन, दिशा, नियम, भोग, सावधानियाँ, और मंत्र के ‘अमुक’ का उपयोग विस्तार से बताया गया है।
शक्तिशाली शाबर यक्षणी मंत्र (महाकाली तंत्र द्वारा):
“ॐ नमो अरण्ये महायक्षणी स्वामिनी, घने अंधकार की रानी, काले पर्वत की अदृश्य वासिनी, तू मेरे आह्वान पर प्रकट हो, रक्त चन्द्रमा के प्रकाश में, मेरे शत्रुओं का नाश कर, मेरे आदेश को मान, अमुकं (व्यक्ति/कार्य) वशं कुरु कुरु, सिद्धिं देहि देहि, सर्वत्र मम रक्षा कुरु कुरु, फुरो मंत्र, ईश्वरो वाचा।”
विधि-विधान (साधना की पूरी प्रक्रिया):
1. साधना का समय:
• अमावस्या या पूर्णिमा की रात को इस साधना को करना उत्तम माना जाता है।
• साधना का सर्वोत्तम समय रात्रि 12 बजे के बाद (मध्यरात्रि) है, जब तांत्रिक ऊर्जा सबसे अधिक प्रभावी होती है।
2. स्थान (Location):
• इस साधना को एकांत और शांत स्थान पर करें, जैसे घने जंगल, नदी किनारा, पुराने मंदिर, या अपने घर का वह स्थान जहां कोई बाधा न हो।
• यदि आप घर पर साधना कर रहे हैं, तो साधना स्थान का शुद्धिकरण गौमूत्र या गंगा जल से करें।
3. आसन (Sitting posture):
• काले या लाल रंग का रेशमी या ऊनी आसन प्रयोग करें।
• साधक को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठना चाहिए। दक्षिण दिशा को यक्षणी साधना के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
4. दीपक:
• सरसों के तेल का दीपक अपने सामने जलाएं। दीपक की लौ स्थिर होनी चाहिए। दीपक साधना के दौरान बुझना नहीं चाहिए।
• दीपक का पर्याप्त तेल और एक तीली रखें ताकि साधना में कोई बाधा न आए।
5. भोग (Offerings):
• यक्षणी को प्रसन्न करने के लिए निम्न भोग चढ़ाएं:
• काले तिल
• काले कपड़े
• नारियल
• शराब (कुछ शक्तिशाली तंत्र साधनाओं में मदिरा का प्रयोग होता है)
• लाल फूल (विशेष रूप से लाल गुड़हल का फूल)
• भोग को मंत्र जाप के बाद यक्षणी को अर्पित करें।
6. मंत्र जाप:
• इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष माला या हकीक माला से करें। माला में 108 मनके होने चाहिए।
• मंत्र का जाप रोज़ाना 108 बार करें और यह क्रम 41 दिनों तक बिना किसी विघ्न के पूरा करें।
7. अमुक का उपयोग (How to use ‘Amuk’):
• मंत्र में जहां ‘अमुकं’ शब्द आता है, वहाँ आपको उस व्यक्ति या कार्य का नाम लेना है जिसे आप वश में करना चाहते हैं या जिसके लिए यह साधना कर रहे हैं।
• व्यक्ति के लिए: अगर आप किसी व्यक्ति को वश में करना चाहते हैं, तो उस व्यक्ति का नाम मंत्र में जोड़ें।
उदाहरण: “राम वशं कुरु कुरु”
• कार्य के लिए: अगर आप किसी कार्य या स्थिति को सिद्ध करना चाहते हैं, तो उस कार्य का नाम जोड़ें।
उदाहरण: “व्यापार वशं कुरु कुरु”
• ध्यान रहे, ‘अमुक’ का सही उपयोग साधना की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
नियम (Rules):
1. शुद्धता: साधना से पहले स्नान करें और साधना स्थल की शुद्धि करें।
2. व्रत और ब्रह्मचर्य पालन: साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और तामसिक भोजन न करें।
3. नियमितता: साधना को 41 दिनों तक बिना किसी रुकावट के नियमित रूप से करना अनिवार्य है।
4. मौन और एकाग्रता: साधना के दौरान मौन और एकाग्रचित्त रहें। किसी भी प्रकार की व्यर्थ बातचीत से बचें।
सावधानियाँ (Precautions):
1. शुद्ध स्थान: साधना स्थल पूर्णतः शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।
2. साधना में विघ्न न हो: साधना करते समय किसी भी प्रकार की बाहरी बाधा से बचें।
3. भय से बचें: साधना के दौरान यदि आपको कोई आंतरिक भय या नकारात्मक सोच आए, तो उसे तुरंत दूर करें।
4. गुरु मार्गदर्शन: यक्षणी साधना गुरु मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए ताकि कोई अनिष्ट न हो।
लाभ (Benefits):
1. शत्रु नाश: यह साधना शत्रुओं का नाश करने में अत्यधिक प्रभावी है।
2. आकर्षण और प्रभाव: यक्षणी साधना से साधक को अप्रतिम आकर्षण और प्रभाव प्राप्त होता है। साधक की वाणी में शक्ति और प्रभाव आ जाता है जिससे वह लोगों को अपने पक्ष में कर सकता है।
3. सुरक्षा: साधक को हर प्रकार की बुरी शक्तियों और तांत्रिक क्रियाओं से सुरक्षा मिलती है।
4. धन और समृद्धि: यक्षणी साधना से साधक को धन, वैभव, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
5. सिद्धियों की प्राप्ति: यक्षणी साधना साधक को तांत्रिक सिद्धियां प्रदान करती है जिससे वह किसी भी प्रकार की समस्याओं का समाधान कर सकता है।
6. रक्षा और विजय: साधना से साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उसे जीवन में विजय और स्थिरता प्राप्त होती है।
अंतिम सुझाव:
• इस साधना को गंभीरता और श्रद्धा के साथ करना अनिवार्य है।
• साधना के दौरान अनुशासन और नियमों का पालन करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
• साधना करते समय हमेशा मन को शुद्ध और सकारात्मक रखें, ताकि मंत्र की ऊर्जा पूर्ण प्रभाव में कार्य कर सके।
यह साधना अत्यंत शक्तिशाली है और इसका प्रभाव साधक के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सक्षम है, परंतु यह तभी सफल होती है जब इसे संपूर्ण निष्ठा, नियमों, और तांत्रिक विधि के साथ किया जाता है।
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