Responsive Advertisement

माँ कालरात्रि की यह दुर्लभ शाबर मंत्र


माँ कालरात्रि की यह दुर्लभ शाबर मंत्र

माँ कालरात्रि की यह दुर्लभ शाबर मंत्र साधना अत्यंत प्रभावशाली है और इसे पूरी विधि-विधान से करने पर साधक को सम्पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है। नीचे इस साधना की पूरी प्रक्रिया, नियम, प्रयोग विधि, और अन्य महत्वपूर्ण विवरण दिए गए हैं:


साधना प्रारंभ करने से पहले:


1. शुद्धि: साधक को पूर्ण रूप से शारीरिक और मानसिक शुद्धता का पालन करना होगा। साधना करने से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।



2. साधना स्थान: यह साधना एकांत और शुद्ध स्थान पर ही करनी चाहिए, जहाँ किसी भी प्रकार का विघ्न न हो। साधना स्थान को गाय के गोबर से लीपकर और गंगाजल से शुद्ध कर सकते हैं।



3. साधना समय: इस साधना को रात्रि के समय करना उचित रहता है, विशेष रूप से नवरात्रि के सप्तमी, अष्टमी या नवमी के दिन आरंभ करें। मध्यरात्रि (12 बजे के बाद) का समय साधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।



4. विधिवत आसन: साधक को आसन पर बैठना चाहिए। आसन लाल या काले रंग का हो सकता है। साधक दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठे।



5. माँ कालरात्रि की प्रतिमा/चित्र: माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र को सामने रखें और उसके समक्ष दीपक, अगरबत्ती और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।




साधना विधि:


1. दीपक और नैवेद्य: माँ कालरात्रि के समक्ष एक अखंड दीपक जलाएं। दीपक को तिल के तेल या सरसों के तेल से जलाना सबसे उत्तम माना जाता है। नैवेद्य के रूप में गुड़, काले तिल, और नारियल अर्पित करें।



2. मंत्र जाप: साधक को रुद्राक्ष की माला लेकर इस शाबर मंत्र का जाप करना है:


माँ कालरात्रि शाबर मंत्र:

ॐ कालरात्रि काली महाकाली!

शत्रु मोहि नहीं देख सके,

न नजर मारे न बांध सके।

जो नजर से देखे तो अंधा होवे,

जो मारे तो पागल होवे।

शत्रु विनाश, तंत्र-मंत्र नाश!

काली माई राखे, मेरा काज सिधार।

फुर्रु फुर्रु बोलो कालरात्रि!"



3. मंत्र का जाप: इस मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप करने से पहले तीन बार गहरा श्वास लें और माँ कालरात्रि का ध्यान करें। ध्यान करते समय माँ से अपने शत्रुओं के नाश और सभी बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।



4. द्रव्य और भोग: माँ को गुड़, काले तिल, और नारियल का भोग अर्पित करें। इसके अलावा, प्रसाद के रूप में लाल फल या मिठाई भी चढ़ा सकते हैं। हवन के रूप में काले तिल, गुड़, और सरसों के दानों का उपयोग कर सकते हैं।



5. ध्यान और साधना का समापन: मंत्र जाप के बाद कुछ देर ध्यान मुद्रा में बैठकर माँ कालरात्रि का ध्यान करें। ध्यान करते समय माँ से अपने सभी कार्यों की सिद्धि की प्रार्थना करें। साधना का समापन माँ की आरती और भोग अर्पित कर करें।




साधना के नियम और सावधानियाँ:


1. शुद्धता: साधना के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें। नकारात्मक भावनाओं, क्रोध, और लोभ से बचें।



2. व्रत पालन: इस साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। साधक को शुद्ध शाकाहारी आहार ग्रहण करना चाहिए।



3. साधना अवधि: यह साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए। यदि संभव हो, तो नवरात्रि के दौरान आरंभ करें और अगले 21 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार मंत्र जाप करें।



4. सावधानियाँ: इस साधना के दौरान नकारात्मक विचार, शत्रुता, और ईर्ष्या जैसे भावों से दूर रहें। साधना को विधिवत और एकाग्रचित्त होकर करें।



5. साधना स्थान: साधना स्थान को नियमित रूप से साफ-सुथरा रखें। वहाँ किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा या गंदगी न होनी चाहिए।




भोग और प्रसाद:


माँ कालरात्रि को गुड़, नारियल, और काले तिल का भोग अर्पित करें।


हवन के लिए काले तिल, गुड़ और सरसों का उपयोग करें।


प्रसाद में साधक स्वयं भी गुड़ और काले तिल का सेवन कर सकते हैं।



साधना के विशेष लाभ:


1. शत्रु नाश: इस साधना से शत्रुओं का नाश होता है। वे साधक को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुँचा सकते।



2. तंत्र-मंत्र से सुरक्षा: साधक को किसी भी प्रकार के तांत्रिक प्रभाव या काले जादू से सुरक्षा प्राप्त होती है।



3. अदृश्य शक्ति प्राप्ति: साधक को अदृश्य शक्तियों की प्राप्ति होती है, जिससे वह जीवन में किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है।



4. मानसिक और शारीरिक बल: साधना से साधक का आत्मबल और साहस अत्यधिक बढ़ जाता है।




यह साधना अत्यंत गोपनीय और शक्तिशाली है। इसे केवल योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करें। साधक को इस साधना से महान लाभ की प्राप्ति होगी, लेकिन साधना की पवित्रता और नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है।


साधना सीखने या तंत्र प्रयोग करवाने हेतु संपर्क करें शुल्क लागू.

Telegram/Call: +919569024784

Email: info@mahakalitantras.org 

Post a Comment

0 Comments

Responsive Advertisement