दुनिया की सबसे शक्तिशाली शाबर साधना (नवरात्रि विशेष भैरव-काली आदिवासी शाबर मंत्र)
विधि विधान, नियम, सावधानियां, और लाभ सहित
यह साधना भैरव और काली माता की सिद्धि के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। आदिवासी शाबर मंत्र तुरंत प्रभावी होते हैं और सही विधि-विधान से करने पर यह साधना साधक को असीम शक्ति, सिद्धि, और इच्छाओं की पूर्ति प्रदान करती है।
पूर्ण शाबर मंत्र:
"ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं काली केलि महाकाली, भैरव वज्रदंड तुजवीर, धुरंधर धुरंधर काली भैरव, जो चाहूं सो होवे। हुकुम सांच भूतो भविष्यति, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।"
साधना विधि:
1. साधना का समय:
नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान रात के समय साधना करें।
सबसे उत्तम समय रात्रि 12 बजे से 3 बजे के बीच माना जाता है, क्योंकि इस समय तांत्रिक ऊर्जा अत्यधिक सक्रिय रहती है।
2. स्थान चयन:
साधना को किसी सुनसान या श्मशान भूमि में करना सर्वोत्तम होता है, लेकिन यदि ऐसा संभव न हो, तो घर के शांत और पवित्र स्थान में भी कर सकते हैं।
साधना स्थान को शुद्ध करने के लिए गंगाजल या कुमकुम छिड़कें और साफ करें।
3. साधना सामग्री:
आसन: काले रंग का आसन बिछाएं।
दीपक: सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उसमें 2-3 लौंग डालें।
धूप: काले धूप का प्रयोग करें।
भोग: गुड़ और काले चने का भोग लगाएं।
माला: रुद्राक्ष या काले धागे की माला का प्रयोग करें।
अन्य सामग्री: काले तिल, काली हल्दी, काले वस्त्र, और काले धागे का प्रयोग करें।
4. मंत्र जाप विधि:
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके काले आसन पर बैठें।
मन को शांत कर, दोनों हाथ जोड़कर भैरव और काली माता का ध्यान करें।
इस मंत्र का 108 बार जाप करें:
"ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं काली केलि महाकाली, भैरव वज्रदंड तुजवीर, धुरंधर धुरंधर काली भैरव, जो चाहूं सो होवे। हुकुम सांच भूतो भविष्यति, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।"
मंत्र जाप के बाद ध्यान करें और अपनी मनोकामना को मन में स्पष्ट रूप से संकल्पित करें।
5. विशेष विधान:
हर दिन जाप के बाद, भैरव और काली को अर्पित भोग चढ़ाएं और दीपक दिखाएं।
मंत्र के साथ गुड़ और काले चने का प्रसाद अर्पण करें।
मंत्र जाप करते समय मन को एकाग्र रखें और किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रहें।
साधना के नियम:
1. शुद्धता और संयम:
साधना के दौरान शुद्ध वस्त्र पहनें और साधना से पहले स्नान अवश्य करें।
साधना के नौ दिनों तक संयम का पालन करें और सादा भोजन ग्रहण करें।
नकारात्मक विचारों से दूर रहें और मन को पूर्ण रूप से साधना में समर्पित करें।
2. नियमितता:
साधना को पूरे नौ दिनों तक निरंतर रूप से करें। बीच में किसी भी दिन साधना को रुकने न दें।
3. सावधानियां:
साधना के समय किसी प्रकार की बाधा न हो, इसके लिए शांत और एकांत स्थान का चयन करें।
किसी भी विकार या नशे का सेवन न करें।
किसी भी प्रकार की हिंसा या बुरे कर्मों से दूर रहें।
4. गुरु से मार्गदर्शन:
यदि संभव हो, तो इस साधना को करने से पहले किसी सिद्ध गुरु से मार्गदर्शन लें। यह साधना तंत्र की श्रेणी में आती है, इसलिए गुरु की कृपा से इसका प्रभाव और अधिक शक्तिशाली हो जाता है।
साधना के विशेष लाभ:
1. मनोकामना पूर्ति:
साधक की जो भी इच्छाएं होती हैं, इस साधना के माध्यम से वे पूर्ण हो सकती हैं। चाहे वह धन प्राप्ति हो, शत्रु पर विजय हो, या किसी भी प्रकार की मनोकामना हो, यह साधना सिद्ध होती है।
2. शत्रु नाश:
यह साधना शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए अति प्रभावी मानी जाती है। शत्रुओं के बुरे प्रभाव से रक्षा होती है और उन्हें साधक के जीवन से दूर किया जा सकता है।
3. धन और समृद्धि प्राप्ति:
यह साधना साधक को आर्थिक समृद्धि और धन प्राप्त करने में सहायक होती है। व्यापार, नौकरी, या व्यक्तिगत धन वृद्धि के लिए यह सिद्ध होती है।
4. रक्षा कवच:
साधक इस साधना के माध्यम से अपनी और अपने परिवार की हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा कर सकता है। यह साधना एक अदृश्य कवच की तरह कार्य करती है।
5. आध्यात्मिक उन्नति:
साधक को भैरव और काली माता की कृपा से आध्यात्मिक जागरण की अनुभूति होती है और साधक को तांत्रिक शक्तियां प्राप्त होती हैं।
6. शांति और संतुलन:
साधना करने से मानसिक शांति और जीवन में संतुलन प्राप्त होता है। जीवन में उथल-पुथल और तनाव को कम करने के लिए यह साधना अत्यंत प्रभावी है।
सावधानियां:
1. साधना में विघ्न: साधना के समय किसी प्रकार का विघ्न या अवरोध न हो, इसलिए साधना को एकांत और शांत स्थान पर करें।
2. पूर्ण श्रद्धा: साधना को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना अति आवश्यक है। यदि साधक के मन में संदेह या नकारात्मकता होगी, तो साधना का प्रभाव कम हो सकता है।
3. नियम भंग न करें: साधना के दौरान नियमों का सख्ती से पालन करें। यदि किसी दिन साधना रुक जाती है, तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
4. किसी तांत्रिक गुरु का मार्गदर्शन लें: यदि साधक इस साधना में नए हैं, तो किसी अनुभवी गुरु का मार्गदर्शन लें।
विशेष सलाह:
महाकाली तंत्र के मार्गदर्शन में साधना करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस साधना को सिद्ध करने के लिए गुरु की कृपा और मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक है।
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