भैरव सिद्धि प्राप्त करने का शक्तिशाली शाबर मंत्र:
भैरव बाबा की तांत्रिक सिद्धि प्राप्त करने के लिए तामसिक शक्तियों का उपयोग करने वाले शाबर मंत्रों को अत्यंत गोपनीय और शक्तिशाली माना जाता है। यह मंत्र साधना भैरव बाबा की कृपा और सिद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है। महाकाली तंत्र के अनुसार, इस साधना में विशेष विधि-विधान, नियम, और सावधानियों का पालन आवश्यक होता है ताकि साधक सुरक्षित और सफल रहे।
यह मंत्र भैरव बाबा की सिद्धि के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है और महाकाली तंत्र के नियमों के अनुसार अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
अतिशक्तिशाली उग्र भैरव शाबर मंत्र:
"ॐ नमो आदेश गुरु को, काली कंकाली, काली के टोटा, भैरव का चोला, शमशान का राजा, चाबुक धारा, हाथ में खप्पर, ******, महाकाल का आदेश, भैरव की धूम, काली की शक्ति, तंत्र का ताला, आदेश गुरु का, शमशान का राजा आह्वान तेरा करता हूँ, काल भैरव तेरी सेना, महाकाल की शक्ति अमोघ, ********, रुद्र की हुंकार, शक्ति का आह्वान, खप्पर में अग्नि, खप्पर में पान, फुर्रा फुर्र आदेश, *******, भैरव बाबा तुरन्त आवे, प्रचण्ड आवे, उग्र आवे, *******धर आवे"
साधना की विधि:
1. साधना का स्थान:
साधना शमशान, पीपल के पेड़, या किसी निर्जन स्थान पर की जानी चाहिए। यह स्थान तांत्रिक दृष्टि से शक्तिशाली होता है और भैरव बाबा का प्रिय माना जाता है।
साधना के लिए रात्रि का समय चुनें, विशेषकर अमावस्या की रात या कोई विशेष तिथि जब तामसिक शक्तियाँ अधिक सक्रिय होती हैं।
2. वस्त्र और सामग्री:
साधना करते समय काले वस्त्र पहनें।
निम्नलिखित सामग्री एकत्रित करें:
काली हल्दी
सरसों का तेल
काले तिल
भैरव बाबा की प्रतिमा या चित्र
मदिरा
मांस का टुकड़ा (यह तामसिक साधना में आवश्यक होता है)
नींबू और धतूरा के फूल
3. मंत्र जप की विधि:
साधक को काले आसन पर बैठकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके यह साधना करनी चाहिए।
मंत्र का जप 108 बार करें और ध्यान रखें कि मंत्र जप बिना किसी रुकावट के हो।
मंत्र जप के दौरान भैरव बाबा के ध्यान में लीन रहें और उनसे सिद्धि प्राप्ति की प्रार्थना करें।
मंत्र जप पूर्ण करने के बाद भैरव बाबा को मदिरा, मांस, और धतूरा का अर्पण करें।
4. विशेष अनुष्ठान:
साधना के दौरान प्रत्येक जप के बाद एक नींबू पर भैरव बाबा का नाम लिखकर उसे शमशान में या निर्जन स्थान पर अर्पित करें।
काले तिल और सरसों के तेल से दीपक जलाएँ और भैरव बाबा की आरती करें।
साधना पूर्ण होने पर, साधक को मदिरा का एक छोटा भाग ग्रहण करना चाहिए, इसे भैरव बाबा का प्रसाद मानकर।
साधना के नियम और सावधानियाँ:
1. तामसिक साधना: यह साधना तामसिक है, इसलिए इसे केवल गुरु की अनुमति और मार्गदर्शन में ही करें। तामसिक शक्तियों का गलत प्रयोग करने से हानि हो सकती है।
2. शुद्धता: साधना के दौरान मन, शरीर, और स्थान की शुद्धता बनाए रखें। साधक को सात्विक आहार से दूर रहना चाहिए और संयम का पालन करना चाहिए।
3. मंत्र शक्ति: मंत्र का उच्चारण पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ करें। अगर साधक को मंत्र में त्रुटि हो, तो साधना का परिणाम नकारात्मक हो सकता है।
4. समर्पण: साधना करते समय भैरव बाबा के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव रखना अत्यावश्यक है। कोई भी लोभ या व्यक्तिगत स्वार्थ साधना में न हो।
5. सावधानियाँ: यह साधना अत्यंत शक्तिशाली है, इसलिए साधना के दौरान ध्यान भटकाने वाली कोई भी वस्तु या व्यक्ति पास न हो। किसी भी प्रकार की रुकावट से बचें।
6. गुरु मार्गदर्शन: साधना करने से पहले किसी अनुभवी गुरु से इसकी विधि और मंत्र शक्ति के बारे में जानना आवश्यक है, ताकि साधक सही ढंग से साधना कर सके।
साधना का परिणाम:
भैरव बाबा की कृपा और सिद्धि प्राप्त होने पर साधक को अद्वितीय शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। यह साधना तांत्रिक कार्यों में सफलता, शत्रु बाधा से मुक्ति, और साधक के जीवन में सर्वश्रेष्ठता लाती है।
महाकाली तंत्र में इस शाबर मंत्र का उल्लेख एक गोपनीय और सिद्ध साधना के रूप में किया गया है, इसलिए इसे पूर्ण श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए ही करना चाहिए।
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